बोलने के लिए दुनिया में लाखों शब्द बने हैं लेकिन मौन रहना सबसे अच्छा जवाब है
डॉ.जोगेंद्र सिंह,फाउंडर(ओपीजेएस यूनिवर्सिटी,ओके लाइफ केयर,ओके इंडिया न्यूज चैनल)
इंग्लिश में एक कहावत है साइलेंट इज गोल्ड स्पीक इज सिल्वर। सुनना सोना है और बोलना चांदी । कम बात करने वालों की यह ख़ासियत होती है कि वे कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाते हैं और किसी को उनकी बात सुनने में झिझक भी नहीं होती है।इसलिए बातों को घुमा-फिराकर करने के बजाए, कम शब्दों में स्पष्ट कहें। किसी महापुरुष ने कहा है कि बोलने के लिए दुनिया में लाखों शब्द बने हैं लेकिन मौन रहना सबसे अच्छा जवाब है। मौन रहना एक साधना है जो हर कोई नहीं कर सकता है। जितना हो सके कम बोलो। यदि एक शब्द से काम चल जाए तो एक वाक्य मत बोलो। यदि मौन रहने से काम हो जाए एक शब्द भी मत बोलो। क्योंकि कम बोलने से कई फायदा है। ये भी कहा जाता है कि तीर के द्वारा दिया गया ज़ख्म बहुत जल्दी भर जाते हैं लेकिन जुबान के द्वारा दिया गया जख्म जिंदगी भर नहीं भरता। इसलिए ज्यादा बोलने वाले अक्सर दूसरों को जुबान का जख्म दिया करते हैं। जो कभी भरता नहीं। जब भी कोई व्यक्ति अपनी आदत कम बोलने की कर लेता है तो उसके पास अपने काम को करने का बहुत ज्यादा समय होता है। कुछ लोग ऐसे भी होते है जो कहते कि उनके पास काम करने के लिए समय नहीं होता है। ऐसे में उन्हें कम बोलने की आदत बना लेना चाहिए। देखिए, कम बोलने का मतलब है कि हम अपने जीवन से संतुष्ठ हैं और हम किसी से बेकार की या‍ फिजूल की बातें करना पसंद नहीं करते हैं। हम सिर्फ उन्हीं लोगों से बात किया करते हैं और उतनी ही बात किया करते हैं जितनी की पर्याप्तम हो।

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