गीता एक सच्चा दार्शनिक ग्रन्थ है, जिस पर गर्व है सारी दुनिया को
डॉ जोगेंद्र सिंह,फाउंडर (ओपीजेएस यूनिवर्सिटी,ओके लाइफ केयर,ओके इंडिया न्यूज चैनल)
कहते हैं कि जिसने गीता के अर्थ को समझ लिया वो जीवन में किसी भी परिस्थिति का मुकाबला करने से नहीं घबराता है। गीता में ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, कर्म, योग का अति विस्तार से चर्चा किया गया है। गीता के विश्वरूप ने महाभारत से लेकर आज़ादी की लड़ाई तक, हर कालखंड में हमारे राष्ट्र का पथप्रदर्शन किया है। भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। वही स्वामी विवेकानंद जी के लिए गीता अटूट कर्मनिष्ठा और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है। गीता तो भारत की एकजुटता, समत्व की भावना का मूल पाठ है, क्योंकि गीता कहती है- ‘समम् सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तम् परमेश्वरम्’। अर्थात्, प्राणी मात्र में ईश्वर का निवास है। नर ही नारायण है। गीता सुनकर परमात्मा के साथ प्रेम करने पर मनुष्य को काल का भय नहीं रहता है। जो भागवत का आश्रय लेता है वे निर्भय बनते हैं। भगवद गीता हमें विचार करने के लिए प्रेरणा देती है, हमें कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती है। भगवत गीता उन विचारों का संयुक्त रूप है, जो आपको विषाद से लेकर विजय तक ले जाता है।महाभारत युद्ध के पूर्व अर्जुन कितना दुखी, और बेचैन हो गया था। भगवान ने गीता का उपदेश देकर अर्जुन का शोक दूर किया था। उसी तरह आज हर कोई शोक-सागर में डूबा हुआ है, गीता शोक का निवारण करती है। सच पूछिए तो गीता समस्या से सावधान भी कराती है और समस्या का समाधान भी बताती है। गीता उस दर्द की दवा है जिस दर्द और पीड़ा से संसार का प्रत्येक प्राणी तड़प रहा है।