धैर्य एक ऐसी सवारी है, जो अपने पे सवार को कभी गिरने नहीं देता है
डॉ जोगेंद्र सिंह,फाउंडर(ओपीजेएस यूनिवर्सिटी,ओके लाइफ केयर,ओके इंडिया न्यूज चैनल)
मुसीबत का सामना तो हर कोई करता है ।कभी न कभी, कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में कोई न कोई मुसीबत हर एक की ज़िंदगी में जरुर आती है । ये हम पर निर्भर करता है कि हम मुसीबत को किस तरह से देखे और उस समय धैर्य बनाकर उससे कैसे निपटा जाए है । आपने देखा होगा जो हार मान लेते हैं, वो अक्सर बिखर जाते है और जो मुसीबतों का डटकर मुकाबला करते है, वो निखर जाते हैं । कहावत मशहूर है – मुसीबत सब पर आती है, कोई बिखर जाता है, तो कोई निखर जाता है। यदि हम अपने स्वार्थ को, मोह-ममता को और इच्छाओं को मर्यादित और संयमित रखें तो हमें जीवन में बहुत कम मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।हमें महात्मा गांधी के जीवन की कई घटनाओं से धैर्य रखने का उदाहरण मिल सकता है । उन्हें एक बार दक्षिण अफ्रीका में रंग भेद की नीति के कारण ट्रेन से उतारा गया था, तो उन्होंने तुरंत ही उसकी प्रतिक्रिया नहीं की। उन्होंने उस अधिकारी के साथ उलझना सही नहीं समझा बल्कि उस पूरी स्थिति को समझा और पाया कि इसके पीछे का कारण रंग भेद की नीति है। उन्होंने इसके लिए योजना बनाई और फिर संघर्ष शुरू किया । हालांकि, उन्हें लम्बा संघर्ष करना पड़ा लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया और उसी धैर्य ने उन्हें सफलता दिलाई। इसलिए अच्छे दिनों में ऐसे कामों से बचें, जिनसे अहंकार बढ़ता है और बुरे दिनों में धैर्य से काम लें।।हालांकि चीजों की जरुरत में ज्यादा चिंता करना भी ठीक नहीं है इसमें संतुलन हासिल करने की कोशिश करें ।किसी ने ठीक ही लिखा है कि- सब्र कर बन्दे मुसीबत के दिन भी गुजर जायेंगे,वो दिन भी आएगा जब हंसी उड़ाने वालो के चेहरे उतर जायेंगे।

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