हमारी पहचान हमारी जुबान और अच्छे कर्मों से होती है
डॉ.जोगेंद्र सिंह,फाउंडर(ओपीजेएस यूनिवर्सिटी,ओके लाइफ केयर,ओके इंडिया न्यूज चैनल)
एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता है,वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती हैं। दोस्तों कहा जाता है कि कर्मों से ही इंसान की पहचान होती है। महंगे कपड़े तो पुतले भी पहनते है दुकानों में, इसलिए इंसान को अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसकी पहचान अच्छे कर्म करने वालों में हो।इंसान महान पैदा नहीं होता है, उसके विचार उसे महान बनाते हैं। विचार और काम की शुद्धता और सरलता ही महान लोगों को आम लोगों से अलग करती है। वे वही काम करते हैं, जो दूसरे करते हैं, लेकिन उनका मकसद समाज में बदलाव लाना होता है।कर्म का अर्थ होता है किसी भी कार्य को लग्न से करना ।लेकिन यदि उसी कार्य में थोड़ी और मेहनत लगा दी जाए तो वह कर्म पूजा बन जाती है। किसी भी कार्य को करने का सबसे बेहतरीन तरीका है उसका आनंद लिया जाए। उसके लिए हर संभव प्रयास किया जाए। अपने कर्म को ही पूजा समझा जाए और यदि वहीं कर्म हम पर बोझ बन जाता है तो हमारी पूजा यानि कि हमारा कर्म उसकी पवित्रता को खो देता है। एक बार जब आप कर्म के फल की इच्छा को छोड़ देते हैं ,,तो कार्य आसानी से हो जाता है। जब कोई इंसान कोई काम सिर्फ इसलिए करता है क्योंकि उसे वह काम पसंद है। अगर आपको अपने कर्म से बदले में कोई अपेक्षा नहीं होगी, तो आप खुशी-खुशी और जबर्दस्त क्षमता से काम करेंगे ।क्योंकि आखिरकार उसका नतीजा क्या होता है, उससे आपको फर्क नहीं पड़ता ।इंसान को हमेशा मीठा बोलना चाहिए, क्योंकि कड़वे बोल बोलने से हमेशा नुकसान होता है । क्योंकि महाभारत का युद्ध का कारण द्रोपदी द्वारा दुर्योधन को बोले गए कड़वे बोल ही थे। इसलिए कहा जाता है कि इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला, ताला खुलता है तभी मालूम होता है कि दुकान सोने की है या कोयले की। भाग्य हमारे कर्म पर निर्भर करता है।हर कोई अपने भाग्य के लिए जिम्मेदार है। मिठ्ठी जुबान और कर्मों से मिली सफलता ही सच्ची सफलता होती है।प्रत्येक कर्म बीज के सामान होता है और जैसा आप बीज बोएंगे वैसा ही फल पाएंगे।

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